बच्चों में कान का संक्रमण

बच्चों में कान का संक्रमण

कान का संक्रमण (ओटिटिस) बच्चों में एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जो अक्सर दर्द और असुविधा का कारण बनता है। आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के कारण यह संक्रमण होता है,  यह जुकाम के बाद हो सकता है। फतेहपुर शेखावाटी के हॉस्पिटल, डॉ. शिवराज हॉस्पिटल में, हम कान के संक्रमण के लक्षण, कारण, और उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं ताकि आप अपने बच्चे की बेहतर देखभाल कर सकें।

कान के संक्रमण के प्रकार

मध्य कान का संक्रमण – जिसमें कान में सूजन और तरल पदार्थ का जमाव होता है।

बाहरी कान का संक्रमण – जिसे ‘स्विमर ईयर’ के रूप में भी जाना जाता है, यह बाहरी कान के संक्रमण को संदर्भित करता है।

संक्रमण के लक्षण -

कान के संक्रमण के लक्षण बच्चों और वयस्कों में थोड़े अलग हो सकते हैं। मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • कान में दर्द और दबाव: दर्द या जलन महसूस होना
  • बुखार: संक्रमण की स्थिति में हल्का या तेज बुखार
  • सुनने में कठिनाई: कान में तरल पदार्थ जमा होने के कारण सुनाई देने में कमी
  • सोने में कठिनाई: कान में दर्द के कारण बच्चों का रात में ठीक से न सो पाना
  • भूख में कमी: कान में असुविधा के कारण बच्चे कम खाना खाते हैं

संक्रमण का कारण

  • बैक्टीरिया और वायरस: बैक्टीरिया के कारण अक्सर मध्य कान का संक्रमण होता है।
  • सर्दी और जुकाम: जुकाम से ईयर कैनाल में तरल पदार्थ जमा हो सकता है।
  • एलर्जी: एलर्जी के कारण कान में सूजन और तरल का जमाव हो सकता है।
  • शिशुओं में दूध का बहाव: कभी-कभी दूध के बहाव से भी संक्रमण की संभावना रहती है।

कान के संक्रमण का उपचार

  • एंटीबायोटिक दवाएं: यदि संक्रमण बैक्टीरियल है, तो इसे ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • दर्द निवारक: दर्द और बुखार को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षित दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं।
  • तरल पदार्थ का प्रबंधन: कान में तरल पदार्थ के जमाव को रोकने और जलन को कम करने के लिए तरल पदार्थ के उपयोग का सही इस्तेमाल बताया जाता है।
  • नियमित जांच और निगरानी: संक्रमण की गंभीरता को कम करने के लिए नियमित फॉलो-अप और चेकअप।

संक्रमण से बचाव के उपाय

  • साफ-सफाई बनाए रखें: बच्चों के कान और आसपास के क्षेत्र को साफ रखें।
  • सर्दी-जुकाम से बचाव: ठंड और फ्लू से बचाने के लिए बच्चों को सुरक्षित रखें।
  • टीकाकरण: समय पर टीकाकरण करवाएं, जैसे कि फ्लू का टीका, जो कान के संक्रमण की संभावना को कम करता है।
  • सुरक्षित स्तनपान: स्तनपान कराते समय बच्चे का सिर ऊंचा रखें ताकि कानों में दूध न जाए।
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