EPELIPSY (मिर्गी)
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें व्यक्ति को बार-बार दौरे (सीज़र) पड़ते हैं। यह तब होता है जब मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि होती है। दौरे के दौरान व्यक्ति को अनियंत्रित झटके, चेतना में कमी या असामान्य संवेदनाएं हो सकती हैं। मिर्गी के दौरे कई प्रकार के होते हैं, जिनमें आंशिक दौरे (फोकल सीज़र) और सामान्यीकृत दौरे शामिल हैं।
1. मिर्गी (Epilepsy) के कारण -
मिर्गी (Epilepsy) के होने के कई संभावित कारण हो सकते हैं। यह मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि के परिणामस्वरूप होता है, लेकिन इसके पीछे के विशिष्ट कारण व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर कर सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं:
अनुवांशिक प्रवृत्ति (Genetic Predisposition): कुछ लोग मिर्गी के लिए आनुवांशिक रूप से अधिक संवेदनशील होते हैं। परिवार में मिर्गी के इतिहास से इसका जोखिम बढ़ सकता है।
मस्तिष्क की चोट (Brain Injury): सिर में गंभीर चोट लगने से मस्तिष्क की संरचना या कार्यप्रणाली में परिवर्तन हो सकता है, जो मिर्गी का कारण बन सकता है।
मस्तिष्क के विकार (Brain Conditions): जैसे ट्यूमर, स्ट्रोक या अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियाँ मिर्गी को उत्पन्न कर सकती हैं।
संक्रामक रोग (Infections): मैनिंजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, और अन्य मस्तिष्क संबंधी संक्रमण मिर्गी का कारण बन सकते हैं।
जन्मजात मस्तिष्क विकार (Congenital Brain Defects): जन्म के समय मस्तिष्क में होने वाली विकृतियाँ या विकास में समस्याएँ मिर्गी को जन्म दे सकती हैं।
प्रसव के दौरान चोट (Prenatal Injury): गर्भावस्था के दौरान या जन्म के समय मस्तिष्क को होने वाली क्षति, जैसे ऑक्सीजन की कमी, मिर्गी का कारण बन सकती है।
मेटाबोलिक या विकास संबंधी विकार (Metabolic or Developmental Disorders): कुछ मेटाबोलिक विकार या विकास संबंधी समस्याएँ भी मिर्गी का कारण बन सकती हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि कई मामलों में मिर्गी का सटीक कारण अज्ञात रहता है, और इसे “इडियोपैथिक” कहा जाता है। मिर्गी के कारणों की विस्तृत जानकारी और इलाज के लिए हमेशा एक न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए।
2. मिर्गी (Epilepsy) के लक्षण -
मिर्गी (Epilepsy) के लक्षण दौरे (सीज़र) के प्रकार और गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। यहां मिर्गी के कुछ सामान्य लक्षण बताए जा रहे हैं:
अचानक और अनियंत्रित झटके (Convulsions): शरीर के किसी हिस्से या पूरे शरीर में अचानक और अनियंत्रित झटके हो सकते हैं।
चेतना में बदलाव (Altered Awareness): व्यक्ति अचानक बेहोश हो सकता है या चेतना में कमी महसूस कर सकता है।
घबराहट या भ्रम (Panic or Confusion): दौरे के दौरान या उसके बाद व्यक्ति घबराहट या भ्रम महसूस कर सकता है।
अचानक गिरना (Sudden Falls): मांसपेशियों की टोन में अचानक कमी आने से व्यक्ति अचानक गिर सकता है।
आँखों का झपकना या घूरना (Staring Spells): कुछ लोग अचानक आँखे झपकाना बंद कर देते हैं या किसी बिंदु पर घूरते रहते हैं।
असामान्य संवेदनाएं (Unusual Sensations): जैसे अजीब गंध, आवाजें सुनाई देना, या अजीब स्वाद महसूस होना।
दौरे से पहले चेतावनी संकेत (Aura): कुछ लोगों को दौरे से पहले चेतावनी संकेत मिल सकते हैं, जैसे अचानक डर, चिंता, या अजीब संवेदनाएं।
मांसपेशियों में अकड़न (Muscle Stiffness): मांसपेशियों में अचानक अकड़न हो सकती है, जिसे टॉनिक सीज़र कहते हैं।
मेमोरी लॉस (Memory Loss): दौरे के दौरान या उसके बाद व्यक्ति को घटना की याद नहीं रहती।
स्वायत्त तंत्रिका तंत्र में परिवर्तन (Autonomic Symptoms): जैसे पसीना, लार का बढ़ना, दिल की धड़कन में बदलाव, आदि।
यह लक्षण किसी भी उम्र के लोगों में हो सकते हैं और दौरे की अवधि कुछ सेकंड से लेकर कई मिनटों तक हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
3. मिर्गी का दौरा होने पर क्या करें और क्या न करें -
जब किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा (Epileptic Seizure) पड़ता है, तो सही तरीके से प्रतिक्रिया करना बहुत महत्वपूर्ण है।
क्या करें (Do’s):-
- शांत रहें (Stay Calm): घबराएं नहीं और स्थिति को शांतिपूर्वक संभालें।
- समय देखें (Note the Time): दौरे की शुरुआत का समय नोट करें ताकि आप जान सकें कि यह कितनी देर तक चल रहा है।
- सुरक्षित स्थान पर रखें (Ensure Safety): व्यक्ति को किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाएं, जिससे उन्हें चोट न लगे। उन्हें फर्श पर लेटाएं और आसपास के खतरनाक वस्त्रों को हटा दें।
- सिर को सहारा दें (Support the Head): व्यक्ति के सिर के नीचे कुछ नरम रखें, जैसे तकिया या कपड़ा, ताकि सिर को चोट न लगे।
- एक तरफ करवट दिलाएं (Turn on Side): दौरे के दौरान व्यक्ति को एक तरफ करवट दिलाएं, जिससे मुंह से लार या उल्टी बाहर निकल सके और सांस लेने में परेशानी न हो।
- कपड़े ढीले करें (Loosen Tight Clothing): व्यक्ति के गर्दन और कमर के कपड़े ढीले कर दें ताकि सांस लेने में आसानी हो।
- साथ बने रहें (Stay with the Person): दौरा खत्म होने तक व्यक्ति के पास रहें और उन्हें दिलासा दें जब तक वे पूरी तरह से होश में नहीं आ जाते।
- चिकित्सकीय सहायता लें (Seek Medical Help): तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें।
क्या न करें (Don’ts):-
- मुंह में कुछ न डालें (Don’t Put Anything in the Mouth): व्यक्ति के मुंह में कोई वस्तु डालने की कोशिश न करें। इससे चोट लग सकती है या सांस नली में अवरोध पैदा हो सकता है।
- रोकने की कोशिश न करें (Don’t Restrain): दौरे के दौरान व्यक्ति को रोकने या पकड़ने की कोशिश न करें। इससे चोट लग सकती है।
- खाना या पीना न दें (Don’t Give Food or Drink): दौरे के दौरान या तुरंत बाद व्यक्ति को खाना या पीना न दें।
- सांस चेक न करें (Don’t Check Breathing During Seizure): दौरे के दौरान सांस चेक करने की कोशिश न करें। सामान्यतः दौरे के बाद सांस सामान्य हो जाती है।
- भीड़ न करें (Don’t Crowd): व्यक्ति के आसपास भीड़ न करें। इससे घबराहट और परेशानी बढ़ सकती है।
दौरा खत्म होने के बाद व्यक्ति को आराम करने दें और जरूरत पड़ने पर उन्हें चिकित्सक के पास ले जाएं। यदि दौरे बार-बार होते हैं या पहली बार हुआ है, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।
मिर्गी का इलाज़ (Treatment of Epilepsy) -
बच्चों के लिए मिर्गी का इलाज़ उनकी आयु, दौरे की गंभीरता और व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर इसके इलाज में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं (Antiepileptic Drugs, AEDs): ये दवाएं दौरे को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। बच्चों को उनके डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक के साथ इन दवाओं का सेवन करना चाहिए।
केकेटोजेनिक डाइट (Ketogenic Diet): बच्चों के मिर्गी के इलाज में आहार और पोषण का महत्वपूर्ण योगदान होता है। उनके आहार में सही पोषक तत्वों की समृद्धि होनी चाहिए जो उनके स्वास्थ्य को सहारा देते हैं और मिर्गी के दौरे को कम कर सकते हैं। विशेष रूप से, कुछ बच्चों के लिए केटोजेनिक आहार का पालन किया जाता है।
केटोजेनिक आहार एक उच्च-वसा, उच्च-प्रोटीन, और कम-कार्बोहाइड्रेट आहार है जो शरीर को अन्य ऊर्जा स्रोतों के बजाय शरीरी चर्बी से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस प्रकार का आहार आमतौर पर ब्रेन की ग्लूकोज संपत्ति को कम करने में मदद करता है, जिससे मिर्गी के दौरे की आवृत्ति को कम किया जा सकता है।
केटोजेनिक आहार की सामग्री में शामिल हो सकते हैं:
- ऊर्जा के लिए: मखाने, बीज, तिल, और बादाम।
- प्रोटीन: मछली, मांस, अंडे, पनीर, और दाल।
- विटामिन और मिनरल्स: सब्जियाँ, फल, दही, और खाने के तेल।
- कार्बोहाइड्रेट कम या निर्धारित होते हैं: अनाज, सब्जियाँ, और फलों का अधिकांश खंड।
यह आहार योजना डॉक्टर या पेडियाट्रिशियन द्वारा परामर्श के आधार पर तैयार की जानी चाहिए, और बच्चे की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, और अन्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई जाती है।
सर्जरी: कुछ मामलों में, अगर दवाओं से मिर्गी कंट्रोल नहीं होता है, तो सर्जरी एक विकल्प हो सकता है। यह विकल्प खासकर उन बच्चों के लिए उपयुक्त होता है जिनकी मिर्गी का कारण मस्तिष्क में एक निश्चित क्षेत्र में हो।
विशेष चिकित्सा प्रणालियाँ: कुछ बच्चों के लिए अन्य चिकित्सा प्रणालियों जैसे कि वेगस नर्व स्टिमुलेशन (Vagus Nerve Stimulation, VNS) और दीप ब्रेन स्टिमुलेशन (Deep Brain Stimulation, DBS) भी सुझायी जा सकती है।
सहायता और परामर्श (Support and Counseling): मिर्गी के साथ जीने वाले लोगों और उनके परिवारों के लिए परामर्श और सहायता समूह महत्वपूर्ण हो सकते हैं, जिससे उन्हें मानसिक और भावनात्मक समर्थन मिल सके।
बच्चों के मिर्गी के इलाज में सभी चिकित्सा निर्देशों का पालन करना जरूरी है। उन्हें नियमित रूप से डॉक्टर के साथ जांच और परामर्श करना चाहिए।