बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) क्या होता है

बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant, BMT) एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें मरीज के अस्वस्थ या क्षतिग्रस्त बोन मैरो (हड्डी का मांसपेशी हिस्सा) को स्वस्थ बोन मैरो से बदलने के लिए ट्रांसप्लांट किया जाता है। बोन मैरो शरीर में रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है, जो हड्डियों के अंदर स्थित होता है। जब बोन मैरो अपनी कार्यक्षमता खो देता है या अस्वस्थ हो जाता है, तो रक्त बनाने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है, और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांट को एक उपचार के रूप में अपनाया जाता है।

Red bone marrow

बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्यों किया जाता है?

बोन मैरो ट्रांसप्लांट का मुख्य उद्देश्य रक्त कोशिकाओं का सही उत्पादन सुनिश्चित करना है, खासकर तब जब शरीर में रक्त की कमी, संक्रमण या कैंसर के कारण बोन मैरो काम नहीं कर रहा हो। यह प्रक्रिया आमतौर पर निम्नलिखित स्थितियों में की जाती है:

  1. ल्यूकेमिया (Leukemia): रक्त कैंसर, जिसमें हड्डी के मैरो में असामान्य रक्त कोशिकाएं बनती हैं।
  2. थैलेसीमिया (Thalassemia)– एक अनुवांशिक रक्त रोग है, जिसमें शरीर पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता, जिससे खून की कमी (एनीमिया) होती है।
  3. लिम्फोमा (Lymphoma): यह कैंसर लिम्फ प्रणाली में उत्पन्न होता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है।
  4. असंचालित बोन मैरो: जहां बोन मैरो रक्त बनाने की क्षमता खो देता है।
  5. आटोइम्यून बीमारियां(Autoimune illness): जहां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट के प्रकार -

  • ऑलोजेनेटिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट:
    इस प्रकार के ट्रांसप्लांट में मरीज को एक स्वस्थ दाता से बोन मैरो मिलता है। दाता के बोन मैरो की कोशिकाएं मरीज के बोन मैरो के लिए कार्य करती हैं। यह दाता परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, या किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति हो सकते हैं।

  • ऑटोलोगस बोन मैरो ट्रांसप्लांट:
    इस प्रक्रिया में मरीज का अपना बोन मैरो लिया जाता है और इलाज के बाद इसे वापस ट्रांसप्लांट किया जाता है। यह उन मरीजों के लिए होता है जिनके पास अपनी बोन मैरो से स्वस्थ कोशिकाएं होती हैं।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया

  • प्रारंभिक तैयारी: मरीज का शारीरिक परीक्षण किया जाता है, जिसमें रक्त परीक्षण, इमेजिंग टेस्ट, और अन्य आवश्यक जांचें शामिल होती हैं।
  • दाता का चयन: यदि ऑलोजेनेटिक ट्रांसप्लांट किया जा रहा है, तो एक स्वस्थ दाता का चयन किया जाता है, जो मरीज से जीन के अनुसार मेल खाता हो।
  • गहन चिकित्सा उपचार: मरीज को ट्रांसप्लांट से पहले की प्रक्रिया में कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी से इलाज किया जाता है, ताकि अस्वस्थ बोन मैरो को नष्ट किया जा सके और स्वस्थ बोन मैरो के लिए जगह बन सके।
  • ट्रांसप्लांट: स्वस्थ बोन मैरो कोशिकाएं मरीज के रक्तप्रवाह में डाली जाती हैं।
  • रिकवरी: बोन मैरो के नये कोशिकाओं का विकास होने में समय लगता है, और इस दौरान मरीज को संक्रमण से बचाने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट के फायदे और जोखिम

  • फायदे:

    • रक्त कोशिकाओं का पुनर्निर्माण।
    • ल्यूकेमिया, लिम्फोमा जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज।
    • जीवन की गुणवत्ता में सुधार।

    जोखिम:

    • संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
    • दवाओं के साइड इफेक्ट्स।
    • ग्राफ्ट-होस्ट डिजीज (GVHD), जिसमें दाता का बोन मैरो शरीर के दूसरे हिस्सों पर हमला कर सकता है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक जटिल लेकिन जीवन रक्षक प्रक्रिया है, जो गंभीर रक्त विकारों और कैंसर जैसी बीमारियों से निपटने में मदद करती है। यह एक उच्च जोखिम वाली प्रक्रिया है, इसलिए इसे विशेषज्ञ डॉक्टरों के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए। ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को लंबे समय तक निगरानी और देखभाल की आवश्यकता होती है, ताकि संक्रमण या अन्य समस्याओं से बचा जा सके।

DR PRAKASH SINGH SHEKHAWAT 

HEMATOLOGIST

JAIPUR HEMATOLOGY CENTRE

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